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ISRO चीफ Dr. K Sivan 🤵 के बारे में रोचक तथ्य


    
    धोती पहनकर कॉलेज जाते थे ISRO चीफ, करते थे खेती, मैथ्स में थे लाते थे 100% नंबर.

   जब लैंडर विक्रम का चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले संपर्क टूट गया तो पूरा देश भावुक हो गया. वहीं इसरो चीफ के. सिवन का मन भी भारी हो गया और पीएम मोदी के गले लगकर रोने लगे. मोदी ने उनका और उनकी टीम का हौसला बढ़ाया. के. सिवन को 10 जनवरी 2018 में बतौर इसरो चीफ नियुक्त किया गया था. आइए जानते हैं उनके बारे में. कहां से की पढ़ाई. 


   के. सिवन का पूरा नाम डॉ. कैलासावडिवू सिवन पिल्‍लई है. वह 62 साल के हैं. उनका जन्‍म 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु में हुआ था. साल 2018 में वह इसरो के चीफ नियुक्त किए गए थे .

   के. सिवन बेहद की गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका बचपन गरीबी में बीता. उनकी पिता एक किसान थे. उनकी स्कूल की पढ़ाई गांव में ही हुई. आपको बता दें, वह अपने परिवार के पहले सदस्य थे जिन्होंने ग्रेजुएशन की थी.


👨‍🎓 यहां से की पढ़ाई 


    1980 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने 1982 में IISc बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में परास्नातक किया. उन्होंने 2006 में IIT बॉम्बे से पीएचडी की डिग्री ली. 

    के सिवन ने 1982 में इसरो का पीएसएलवी प्रोजेक्ट जॉइन किया था. उनके बायोडाटा के मुताबिक उनके लेख कई जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं और उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. बता दें, वह इंडियन नेशनल ऐकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया में फैलो हैं. इसी साल उन्हें तमिलनाडु सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.


🤷‍♂️ ऐसे बीता बचपन


    टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार के सिवन ने बताया कि मेरे पिताजी ने मेरा दाखिला पास वाले कॉलेज में करवा दिया. क्योंकि उनका मानना था कि कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद मैं खेती में भी पिताजी की मदद करूंगा. उन्होंने बताया कि मैं पढ़ाई में होशियार था. मैं बीएसी का कोर्स कर रहा था जिसमें गणित विषय में 100 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. जिसके बाद पिता की सोच बदली और आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला एमआईटी में करवा दिया.


👨‍🎓 धोती पहनकर जाते थे कॉलेज


    के. सिवन ने बताया कि मैंने अपना पूरा बचपन बिना जूते और सैंडल पहने हुए बिताया. मैंने कॉलेज तक धोती पहनी थी, लेकिन पहली बार पैंट तब पहनी जब मेरा एडमिशन एमआईटी में हुआ. 


👨‍👨‍👦‍👦 परिवार में ये लोग 


   सिवन पहले सदस्य थे जिन्होंने अपनी ग्रेजुएट की थी. उनके भाई और 2 बहनें गरीबी की वजह से पढ़ाई पूरी नहीं कर सके थे. लेकिन जैसे- तैसे सिवन ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली. उनकी पत्नी का नाम मलाठी सिवन है. उनके 2 बच्चे हैं. सिद्धार्थ और सुशांथ. 

    क्रायोजॉनिक इंजन, पीएसएलवी, जीएसएलवी और री-यूजेबल लॉन्च व्हिकल्स (आरएलवी) का निर्माण करने में के. सिवन का अहम योगदान है. जिसके बाद उन्हें 'रॉकेट मैन' कहा जाने लगा.







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