Interesting facts about Indus Valley Civilization (Harappan Culture)
सिन्धु घाटी सभ्यता(हड़प्पा संस्कृति) के बारे में रोचक तथ्य
सिन्धु घाटी सभ्यता ( हड़प्पा संस्कृति ) का रहस्यमय इतिहास 8000 साल पुराना है जिनमे से कई सारे शहरों की खोज हो चुकी है जो की प्राचीन भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए थे और आज इसके कुछ हिस्से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी पाए गये हैं।
इस सभ्यता की सबसे खास बात यह है की यह दूसरी सभ्यताओं की तुलना में तकनीकी रूप से बहुत आगे थे। आज हम हड़प्पा सभ्यता के बारे में कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे जो की आपको सोंचने पर मजबूर कर देंगे की क्या सच में उस जमाने में भी ऐसा हुआ करता था।
ये हैं सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़े 20 हैरान करने वाले आश्चर्यजनक और रोचक तथ्य। इनमे से कुछ बातों पर आपको यकीन करना मुश्किल होगा क्योंकि उस समय की तुलना में वहां के लोगों की जीवन शैली और तकनीकें काफी उन्नत थीं।
हड़प्पा संस्कृति |
1. सबसे पुरानी सभ्यता पहले यह माना जाता था की सबसे पुरानी सभ्यता मेसोपोटामिया है लेकिन हाल ही में आईआईटी-खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे सबूतों का खुलासा किया है जिससे की यह साबित होता है की सिंधु घाटी की सभ्यता 5,500 वर्ष (जैसा की पहले माना गया था) नही बल्कि कम से कम 8000 साल पुरानी है। 25 मई, 2016 को प्रतिष्ठित Nature Journal पत्रिका में प्रकाशित इस खोज में माना गया है की मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यताओं की तुलना में ही नही बल्कि हड़प्पा सभ्यता पूरी दुनिया में सबसे पुरानी सभ्यता है।
2. इनकी आबादी 50 लाख से भी अधिक थी सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) की कुल आबादी पांच लाख से अधिक थी जो की न्यूज़ीलैंड की वर्तमान जनसंख्या की तुलना में अधिक है जिनमे से अधिकांश लोग कारीगर और व्यापारी थे।
3. सभ्यता का नामकरण खोजी गई पहली बस्तियां सिंधु नदी के तट पर थीं, इसलिए पुरातत्वविदों ने इसे 'सिंधु घाटी सभ्यता' नाम दिया। हालांकि, सिंधु और इसकी सहायक नदियों के आसपास केवल 100 जगहों पर पाए गये हैं जबकि 500 से ज्यादा साइटों की खोज घग्गर-हकरा नदी (जो की लंबे समय से खोई हुई नदी, सरस्वती मानी जाती है) के आसपास हुई है।
अब, कई पुरातत्वविदों ने इसे 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के रूप में बुलाना पसंद किया है, जो की दोनो नदियों के नाम पर आधारित है। जबकि कई लोग 'हड़प्पा सभ्यता' नाम को पसंद करते हैं, जो पहले शहर के नाम पर आधारित था जिसे हड़प्पा कहते हैं।
4. अब तक 1056 शहरों की खोज हो चुकी है अभी तक 1,056 से अधिक हड़प्पा शहर और बस्तियों की खोज हुई है, जिनमें से 96 जगहों की खुदाई की गई है। वे ज्यादातर सिंधु और घग्गर-हकरा नदियों और उनकी सहायक नदियों के आसपास फैले हुए हैं। जिनमे ढोलवरिया, राखीगढ़ी, लोथल, कालीबंगन हड़प्पा और मोहनजो-दारो जैसे कुछ प्रसिद्ध शहर भी शामिल हैं।
5. बच्चों का शहर जब हड़प्पा और मोहन जोदड़ो की खुदाई की गयी थी, तो वहां पासा, पत्थर, सीटी और कई प्रकार के खिलौने बड़ी संख्या में पाए गए थे। इससे उन्हें लगा कि उन्होंने उन शहरों की खोज की थी जहां के अधिकांश निवासी बच्चे थे।
6. उस जमाने में शतरंज जैसा खेल जैसा की हमने ऊपर बताया की वहाँ कई प्रकार के खिलौने पाए गये हैं जिससे पता चलता है की वहाँ के लोगों को खेल खेलना बहुत पसंद था लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की शतरंज जैसा खेल भी उस जमाने में खेला जाता था।
7. 4000 वर्षीय सिंधु घाटी ईंटों से बना रेलवे ट्रैक भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान, ब्रिटिश इंजीनियर कराची से लाहौर तक रेलवे ट्रैक का निर्माण कर रहे थे। जब ट्रैक बढ़ाने के लिए सामग्रियों की कमी महसूस हुई, तो उन्होंने इसके लिए हड़प्पा के आसपास के खंडहरों से ईंटें एकत्रित कीं। उन्होंने इन 4000 वर्ष पुरानी ईंटों का उपयोग करके 150 किमी रेलवे ट्रैक का निर्माण किया।
8. दुनिया का पहला योजनाबद्ध शहर सिन्धु घाटी के लगभग सभी शहर योजनाबद्ध तरीके से एक ग्रिड पैटर्न में डिजाईन किये गये हैं। सड़कों की दिशा और चौड़ाई का ख़ास ख्याल रखा गया था, सड़कों के आसपास बाजार और अन्य दुकानों आदि के लिए पर्याप्त जगह की व्यवस्था थी।
9. वे अपने समय से आगे थे सिन्धु घाटी सभ्यता में शहरों और गावों का निर्माण बेहद ही योजनाबद्ध तरीके से किया गया था जो उस समय के दूसरी प्राचीन सभ्यताओं में दिखाई नही देते। लगभग सभी शहर एक ही पद्धति से बनाई गई थी। टाउन प्लानिंग अकेले शहरों तक सीमित नहीं थी, प्रत्येक शहर और गांव एक ही ग्रिड पैटर्न से बने थे और प्रत्येक घर का निर्माण एक ही आकार के ईंट से होता था। सभी घरों के लिए ईंटें समान थीं। जल निकासी और प्रबंधन के लिए भी विशेष व्यवस्था की गयी थी।
10. अधिकांश घर दो मंजिला या तीन मंजिला होते थे हड़प्पा सभ्यता के लोगों के पास कुशल राजमिस्त्री हुआ करते थे जो की ईंटों को जोड़कर विशाल संरचना बना सकते थे यही कारण है की लोगों के घर दो मंजिला या तीन मंजिला हुआ करते थे।
11. हड़प्पा घरों में अटैच्ड बाथरूम व फ्लश टॉयलेट हुआ करते थे हड़प्पा संस्कृति के लगभग सभी घरों में पानी की सुविधा के साथ उस समय के अनुसार अत्याधुनिक स्नानागार और शौचालय होते थे जिनमे निकासी और साफ़ सफाई की भी विशेष व्यवस्था की गयी थी।
12. मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार मोहन जोदड़ो की खुदाई में एक विशाल स्नानागार पाया गया है। यह 2.5 मीटर गहरा, 7 मीटर लम्बा और चौड़ा था। प्रवेश द्वार के रूप में दो चौड़े सीढ़ियां थीं, तालाब में एक छेद भी है जहां से पानी निकलता है। सभी दीवारों को जिप्सम प्लास्टर के साथ पतले ईंटों और मिट्टी से बनाया गया था।
13. दुनिया के पहले दंत चिकित्सक भले हमें आज दन्त चिकित्सा जैसा कार्य आधुनिक और नये जमाने का लगे लेकिन आपको यह जानकर बड़ी हैरानी होगी की हड़प्पा काल से कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं की उस समय में भी लोगों की इसकी जानकारी थी।
सन 2001 में, मेहरगढ़, पाकिस्तान के दो लोगों के अवशेषों का अध्ययन करने वाले पुरातत्वविदों ने पाया कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग, शुरुआती हरप्पन काल से ही आद्य-दंत चिकित्सा (proto-dentistry) के ज्ञानी थे। Nature Journal में प्रकाशित लेख के अनुसार मेहरगढ़ में एक जीवित व्यक्ति में मानव दांतों के ड्रिलिंग का पहला सबूत पाया गया था।
14. उन्होंने नाप-तौल की सटीक तकनीक भी विकसित की थी वैज्ञानिकों ने उस समय उपयोग होने वाले कुछ माप यंत्रों की खोज की है जिनका उपयोग लम्बाई नापने, वजन तौलने आदि में किया जाता था। नाप-तौल के कई मानक भी निर्धारित किये गये थे, 0.005 इंच को सटीकता से नापा जा सकता था।
यही नही, पुरातत्वविदों को कुछ पत्थर के क्यूब्स भी मिले हैं जो की स्पष्ट रूप से वजन तौलने के लिए तैयार किये गये हैं, जिनसे 0.05 से लेकर 500 यूनिट तक के भार को तौला जा सकता है।
15. मोहन जोदड़ो में सड़कों व गलियों में कूड़ेदान की व्यवस्था थी पुरातत्वविदों ने ईंट से बने कई कंटेनरों की पहचान की जो की कचड़े इक्कठे करने के लिए मोहनजो-डारो की गलियों में लगाए गये थे।
16. हड़प्पा सभ्यता में बटन का भी उपयोग होता था सिंधु घाटी सभ्यता में, समुद्री सीपों से बने बटन का उपयोग ज्यादातर सजावटी सामग्री के रूप में किए जाते थे। बटनों को अलग-अलग आकृतियों में बनाया गया था और धागे के साथ कपड़ों में इसे लगाने के लिए इसमें छेद भी दिए गये थे।
17. उन्होंने दुनिया का सबसे पुराना साइनबोर्ड बनाया 1999 में ढोलवीरा में, पुरातत्वविदों ने दुनिया का पहला साइनबोर्ड खोजा है, इस बोर्ड में एक लकड़ी के फ्रेम में 30 सेंटीमीटर के पत्थर से बने प्रतीक चिन्ह थे। हांलाकि अभी तक इसके मतलब का पता नही चल पाया है क्योंकि सिंधु लिपि की अभी तक व्याख्या नहीं की गई है।
18. उनको कला और शिल्प के क्षेत्र में महारथ हासिल थी Harappan civilization के लोग शिल्पकला के मामले में बहुत उन्नत थे, खनन के दौरान सिन्धु घाटी से ताम्बे, कांस जैसे कई प्रकार के धातुओं से बनी मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ पाई गयीं हैं जिनमे उनके शिल्प कौशल को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
19. सिन्धु सभ्यता की लिपि (Indus Valley Script) को अभी तक समझा नही जा सका है हड़प्पा संस्कृति में उपयोग किये गये लिपि व लिखावट की व्याख्या अभी तक नही की जा सकी है यह भी एक वजह की हमें सिन्धु घाटी के बारे बहुत कम जान पाए हैं।
20. आज भी यह रहस्य है कि सिंधु घाटी सभ्यता कैसे ख़तम हो गई इस सभ्यता की समाप्ति के पीछे का रहस्य आज भी बना हुआ है। कोई भी नही जानता की हड़प्पा सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ था। वहां रहने वाले नागरिकों का क्या हुआ इस बारे में भी कोई ठोस जानकारी नही मिलती। कुछ लोग कहते हैं कि उनकी सैन्य रणनीतियों की कमी के कारण मध्य एशिया से भारत-यूरोपीय जनजाति के आर्यों ने उन पर हमला किया। कुछ लोगों का यह कहना है कि यह एक बड़े पैमाने पर सूखे की वजह खत्म हो गई। वहीँ कुछ लोगों का मानना है कि एक बहुत बड़े भूकंप ने नदी के मार्ग को बदल दिया, और इस तरह परिस्थिति ने उन्हें कहीं और स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया। इस तरह हम कह सकते हैं की हड़प्पा का रहस्य आज भी बरक़रार है।
हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े 100 महत्वपूर्ण तथ्य :-
सिंधु घाटी सभ्यता जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है तथा अब तक की ज्ञात सभ्यताओं में सबसे प्राचीन सभ्यता माना जाता है.एक ऐसी सभ्यता जिसकी खोज 1921 में हुई. जो 2500 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक रही तथा 1500 ईसापूर्व के आसपास इस सभ्यता का पतन हो गया.आज हम इस सभ्यता से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य के बारे में जानेंगे तो चलिए जानते हैं
1. हड़प्पा सभ्यता के प्रथम अवशेष हड़प्पा नामक स्थान से प्राप्त हुए थे. हड़प्पा नामक स्थान से प्राप्त अवशेषों के कारण ही इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता कहा गया.
2. हड़प्पा सभ्यता 2500 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक फली फूली.हड़प्पा सभ्यता की तिथि ज्ञात करने के लिए कार्बन डेटिंग पद्धति का सहारा लिया गया.
3. हड़प्पा सभ्यता को भारतीय उपमहाद्वीप की प्रथम नगरीय सभ्यता माना जाता है.
4. हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता का नाम इसके प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो की खुदाई के कारण मिला. क्योंकि मोहनजोदड़ो की खुदाई सिंधु नदी के किनारे हुई थी. इसी सिंधु नदी के कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाने लगा.
5. सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ प्रमुख नगरों की खोज नदियों के किनारे हुई जिनके नाम और नदी इस प्रकार है
प्रमुख नगर नादियां
हड़प्पा रावी नदी
मोहनजोदड़ो सिंधु नदी
लोथल बोगवा नदी
कालीबंगा घग्गर नदी
रोपड़ सतलुज नदी
आलमगीरपुर हिंडन नदी
कुणाल सरस्वती नदी
बनवाली सरस्वती नदी
चन्हुदड़ो सिंधु नदी
6. सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के किनारे तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक था.
7. सिंधु सभ्यता का क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर तथा अकार त्रिभुजाकार था.
8. सिंधु सभ्यता मिस्त्र सभ्यता से भी बड़ी सभ्यता थी.
9. सिंधु घाटी सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता कहा जाता है.
10. सिंधु सभ्यता के नगर तथा उनके खोजकर्ता इस प्रकार हैं.
नगर खोजकर्ता
हड़प्पा दयाराम साहनी
मोहनजोदड़ो राम लद्दाख बनर्जी
लोथल रंगनाथ राव
कालीबंगा ब्रजवासी लाल, अमलानंद घोष
बनवाली रविंद्र सिंह बिष्ट
रोपड़ यक्षदत्त शर्मा
चन्हुदड़ो गोपाल मजूमदार
11. सिंधु घाटी सभ्यता की नगर विन्यास पद्धति 'Grid System ' पर आधारित थी.
12. सिंधु सभ्यता के नगरों की गलियां चौड़ी व सीधी हुआ करती थी तथा एक दूसरे को समकोण पर काटती थी.
13. अधिकतर हड़प्पा वासी अपने घरों को दो मंजिल के बनाते थे.
14. इन घरों के प्रमुख दरवाजे बाहर सड़क की तरफ खुलते थे.
15. भारत में वास्तुकला का आरंभ सिंधु वासियों ने ही किया था.
16. सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत का नाम अन्नागार है जो मोहनजोदड़ो की खुदाई से मिली.
17. मोहनजोदड़ो की खुदाई से एक विशाल स्नानघर भी मिला है.
18. सिंधु सभ्यता वासियों के घरों के फर्श आमतौर पर कच्चे होते थे सिर्फ कालीबंगा से कुछ पक्के फर्श के साक्ष्य मिले हैं.
19. विश्व में सर्वप्रथम कपास की खेती करने का श्रेय सिंधु वासियों को ही जाता है.
20. सिंधु सभ्यता वासी चावल और बाजरा की खेती करना भी जानते थे चावल और बाजरा के साक्ष्य लोथल से मिले हैं
21. लोथल एक ऐसा स्थान था जो सिंधु सभ्यता वासियों का प्रमुख बंदरगाह था.
22. बनावली से मिले हल के प्रमाण के आधार पर कहा जा सकता है कि यह लोग हल चलाना भी जानते थे.
23. कालीबंगा की खुदाई में जूते हुए खेत के प्रमाण भी मिले हैं.
24. सिंधु वासी हाथी और घोड़े से परिचित थे परंतु उन्हें फालतू नहीं बना सके.
25. सुरकोटदा की खुदाई से घोड़े के होने के प्रमाण मिले हैं.
26. चन्हुदड़ो की खुदाई में एक ईंट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजों के निशान भी मिले है.
27. सिंधु वासियों को गैंडा,बंदर, भालू, आदि जंगली जानवरों का ज्ञान था परंतु जंगल के राजा शेर को नहीं जानते थे .
28. सिंधु सभ्यता के समय मुद्रा प्रणाली का प्रचलन नहीं था.
29. यह लोग क्रय विक्रय वस्तु विनिमय आधार पर व्यापार किया करते थे.
30. सिंधु सभ्यता के लोग अन्य सभ्यता के लोगों के साथ भी व्यापार करते थे.
सिंधु सभ्यता के लोग तांबा, चांदी, सोना, शीशा, आदि का व्यापार करते थे यह लोग अफगानिस्तान, ईरान, दक्षिण भारत, तक व्यापार किया करते थे.
31. हड़प्पा की खुदाई से मिले साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है यह सभ्यता व्यापारी एवं शिल्पियों के हाथों में थी.
32. सन 1999 तक सिंधु सभ्यता के 1056 नगरों की खोज हो चुकी थी.1056 नगरों की खोज के कारण ही इस सभ्यता को नगरीय सभ्यता कहां गया.
33. सिंधु वासी अपने आभूषणों में सोना, चांदी, तांबा, धातु का प्रयोग करते थे साथ ही यह लोग कीमती पत्थर से बने आभूषणों को भी बहुत चाव से पहनते थे.
34. सिंधु सभ्यता के लोग मंदिर नहीं बनाते थे ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि अब तक की खुदाई से एक भी मंदिर के प्रमाण नहीं मिले हैं.
35. हड़प्पा वासी मुख्य रूप से कूबड़ सांड की पूजा करते थे.
36. हड़प्पावासी वृक्षों की पूजा भी करते थे खुदाई से मिले पीपल एवं बबूल के पेड़ों के साक्ष्यों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है.
37. सिंधु वासी स्वास्तिक चिन्ह बनाना जानते थे मोहनजोदड़ो की खुदाई से एक मोहर पर स्वास्तिक चिन्ह के निशान मिले है.
38. सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक थी.
39. सिंधु लिपि को पढ़ने का सर्व प्रथम प्रयास L A vadel ने किया था.
40. सिंधु सभ्यता की लिपि को अब तक समझा नहीं जा सका है.
41. सिंधु वासी लिखते समय चिड़िया, मछली,मानवकृति आदि का प्रयोग किया करते थे. सिंधु लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी
42. सिंधु सभ्यता को ProHistoric युग का माना गया है.
43. सिंधु सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ और भूमध्यसागरीय थे
44. सिंधु सभ्यता के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं.
45. सिंधु सभ्यता वासियों ने मनके बनाने के लिए कारखाने लगा रखे थे.
46. कारखानों के साक्ष्य लोथल और चन्हुदडो से प्राप्त हुए हैं
47. सिंधु सभ्यता की मुख्य फसलें गेहूं और जो थी.
48. सिंधु सभ्यता वासी तौल की इकाई में 16 का अनुपात रखते थे.
49. सिंधु सभ्यता के लोग धरती की पूजा करते थे ऐसा माना जाता है सिन्धुवासी अपने खेतों की ऊर्वरक शक्ति बढ़ाने के लिए धरतीमाता की पूजा करते थे.
50. सिंधु सभ्यता वासी मातृदेवी की भी पूजा करते थे.
51. सिंधु सभ्यता मातृ प्रधान सभ्यता थी.
52. कहा
53. क्षेत्रफल की दृष्टि से मोहनजोदड़ो सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था.
54. हड़प्पाकालीन स्थलों की खुदाई से मिले प्रमुख साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है हड़प्पा वासी कुशल कारीगरी करना जानते थे.
55. हड़प्पा नगर की खोज 1921 में दयाराम साहनी द्वारा की गई थी.
56. हड़प्पा की खुदाई से कुछ महत्वपूर्ण चीजें प्राप्त हुई हैं जैसे शंख का बना हुआ बैल, नटराज की आकृति वाली मूर्ति, पैर में सांप दबाए गरुड़ का चित्र ,मछुआरे का चित्र, आदि...
57. मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में राम लद्दाख बनर्जी द्वारा की गई थी.
58. मोहनजोदड़ो की खुदाई से भी कुछ महत्वपूर्ण चीजे मिले हैं. जैसे पक्की ईट ,कांसे की एक नर्तकी की मूर्ति, सीडी आदि के साक्ष्य मिले हैं.
59. मोहनजोदड़ो को मृतकों का टीला भी कहा जाता है.
60. सिंधु सभ्यता के प्रमुख नगर लोथल से भी महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं लोथल से बत्तख, बारहसिंघा, गोरिल्ला, दो मुंह वाले राक्षस के अंकन वाली मुद्राएं प्राप्त हुई है.
61. सिंधु सभ्यता का एक प्रमुख नगर कालीबंगा है जो घाघर नदी के किनारे राजस्थान में स्थित है.
62. कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ 'काली चूड़ियां' है.
63. कालीबंगा से विकसित हड़प्पा सभ्यता के साक्ष्य मिले.
64. जूते हुए खेत, सरसों के साक्ष्य से भी कालीबंगा से ही प्राप्त हुए हैं एक सींग वाले देवता के साक्ष्य भी कालीबंगा से मिले है .
65. सिंधु सभ्यता में मानव के साथ कुत्ते को दफनाने की प्रथा भी प्रचलित थी ऐसी ही एक प्रथा के साक्ष्य रोपड़ से प्राप्त हुए हैं.
66. हरियाणा के बनावली से हल की आकृति वाला खिलौना प्राप्त हुआ है अच्छे किस्म की जो भी यही से प्राप्त हुई है.
67. सिंधुवासी खेलो में भी रूचि रखते थे.
68. सिंधुवासी सतरंज का खेल जानते थे.
69. सिंधु सभ्यता को 'सिंधु सरस्वती' सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है ऐसा इसलिए कहा जाता है क्युकी सरस्वती नदी के किनारे भी इस सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं.
70. प्रथम बार काँसे के प्रयोग के कारण इस सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता कहा जाता है.
71. सिंधु सभ्यता वासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि पर आधारित था.यह लोग जो, बाजरा ,चावल, कपास आदि की खेती करते थे
72. हड़प्पा में पकी मिट्टी की स्त्री मूर्तिकाएं भारी संख्या में मिली हैं। एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से निकलता एक पौधा दिखाया गया है। विद्वानों के अनुसार यह पृथ्वी देवी की प्रतिमा है.
73. अब तक ज्ञात खुदाई में मात्र 3 प्रतिशत हड़प्पा सभ्यता को ही खोजा गया है.
74. लोथल से युगल शवाधान का साक्ष्य मिला है साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है हिंदू सभ्यता में सती प्रथा का प्रचलन था.
75. सिंधु सभ्यता में भक्तिवाद ,पुनर्जन्म आदि के साक्ष्य भी मिले हैं.
76. हड़प्पा नगर वासियों के अधिकतर घर पक्की ईंटों के बने होते थे.
77. सिंधु सभ्यता में फलों की खेती बहुत कम मात्रा में होती थी.
78. बनावली से मिले बैलगाड़ी के खिलौने के साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है कि यह लोग खेती के लिए बैलगाड़ी का प्रयोग करते थे.
79. हड़प्पा संस्कृति प्रगति का मुख्य कारण वहा के लोगो का आत्मनिर्भर होना था.
80. सूत्रों के अनुसार हड़प्पा घाटी के अधिकांश लोगो का जीवन समृद्ध था। हड़प्पा में संसाधनों के एकत्रीकरण की व्यवस्था ही संस्कृति के विकास का कारण बनी.
81. इस सभ्यता की समकालीन सभ्यता मेसोपोटामिया थी.
82. हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में असंख्य देवियों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। ये मूर्तियां मातृदेवी या प्रकृति देवी की हैं.
83. यहां हुई खुदाई से पता चला है कि हिन्दू धर्म की प्राचीनकाल में कैसी स्थिति थी
84. सिन्धु घाटी की सभ्यता को दुनिया की सबसे रहस्यमयी सभ्यता माना जाता है, क्योंकि इसके पतन के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है.
85. चार्ल्स मेसन ने वर्ष 1842 में पहली बार हड़प्पा सभ्यता को खोजा था। इसके बाद दया राम साहनी ने 1921 में हड़प्पा की आधिकारिक खोज की थी.
86. हड़प्पा से कई ऐसी चीजें मिली हैं, जिन्हें हिन्दू धर्म से जोड़ा जा सकता है। पुरोहित की एक मूर्ति, बैल, नंदी, मातृदेवी, बैलगाड़ी और शिवलिंग आदि हिंदू धर्म के प्रतीक है.
87. 1940 में खुदाई के दौरान पुरातात्विक विभाग के एमएस वत्स को एक शिव लिंग मिला जो लगभग 5000 पुराना है.
88. मोहनजोदड़ो को सिंध का बाग़ भी कहा जाता है.
89. ऐसा माना जाता है मोहनजोदड़ो की स्थापना आज से 4616 वर्ष पूर्व हुई थी.
90. इतिहासकारों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के निर्माता द्रविड़ लोग थे.
91. इतिहाकारों के अनुसार सबसे पहली बार कपास उपजाने का श्रेय हड़प्पावासियों को ही दिया जाता है.
92. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मोहरो को सर्वोत्तम कलाकृतियों का दर्जा प्राप्त है.
93. हड़प्पा वासी मिटी के बर्तनो पर लाल रंग का प्रयोग करते थे.
94. मोहनजोदड़ों से प्राप्त विशाल स्नानागार में जल के रिसाव को रोकने के लिए ईंटों के ऊपर जिप्सम के गारे के ऊपर चारकोल की परत चढ़ाई गई थी जिससे पता चलता है कि वे चारकोल के संबंध में भी जानते थे.
95. पुरातात्विक विभाग के सर्वे के अनुसार हड़प्पा काल के अंतिम समय में हड़प्पा घाटी के लोग कयी बीमारियों से जूझ रहे थे.
96. अंतिम समय में सिन्धुवासी मुख्य रूप से कार्नियो-फेसिअल मानसिक आघात नामक बीमारी से ग्रसित थे, यह बीमारी तेज़ी से फेल रही थी.
97. कहा जाता है की हड़प्पा घाटी के लोग आर्थिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद भी स्वस्थ नहीं रहते थे.
98. 1500 ईसा पूर्व के आसपास सिंधु सभ्यता का पतन हो गया.
99. 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद सिंधु सभ्यता के दो प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा पाकिस्तान का हिस्सा बन गए.
100. भारत में सिंधु सभ्यता का प्रमुख स्थल धोलावीरा है.
🔜 सिंधु सभ्यता के पतन के भी कई कारण हैं अलग-अलग इतिहासकारों में सिंधु घाटी सभ्यता के पतन को लेकर भिन्न-भिन्न मतभेद रहे हैं.प्रसिद्ध विद्वान दयाराम साहनी और राम लदाख बनर्जी के अनुसार सिंधु सभ्यता का पतन, बाढ़, जलप्लावन, जलवायु परिवर्तन आदि कारणों से हुआ था.
परंतु गार्डन चाइल्ड और व्हीलर के अनुसार आर्यों का आक्रमण इस सभ्यता के विनाश का कारण बना ,यही मार्शल और एमएस भार्गव इस सभ्यता के पतन का कारण बाढ़ तथा महामारी को मानते हैं.
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