मोटर व्हीकल (संशोधन) बिल का क्या उद्देश्य है? इसके कुछ मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? | What is the purpose of the Motor Vehicle (Amendment) Bill? What are some of its main features?
मोटर व्हीकल (संशोधन) बिल का क्या उद्देश्य है? इसके कुछ मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
2018 में भारत में कुल 4 लाख 61 हजार सड़क दुर्घटनाएँ हुईं और इसमें 1 लाख 49 हजार लोगों की मौत हुई। सड़क सुरक्षा पर WHO द्वारा जारी की गई ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट 2018 के अनुसार प्रति वर्ष 1.35 मिलियन लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु हो रही है। यह आँकड़ा बहुत दुःखद है और हमारे यातायात व्यवस्था की दयनीय हालत को भी बताता है। यातायात के नियमों का सख्ती से पालन करके सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
गौरतलब है कि मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन की आवश्यकता पिछले कुछ समय से महसूस की जा रही थी। कारण यह था कि एक तो मोटर व्हीकल एक्ट 1988 काफी पुराना हो चुका था। दूसरा यह कि वर्तमान में हमारी अर्थव्यवस्था 1988 की तुलना में बहुत विकसित हो चुकी है। अगला यह कि अब वाहनों की संख्या भी बहुत अधिक बढ़ चुकी है। इसके अलावा तकनीकी में भी बहुत से बदलाव आ चुके हैं। अतः संशोधन जरूरी था।
सरकार मोटर व्हीकल संशोधन विधेयक 2019 लेकर आई, जिसे लोकसभा में 15 जुलाई को प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक लोकसभा में 23 जुलाई को तथा राज्यसभा में 31 जुलाई को पारित किया गया। राज्यसभा में सरकार ने इसमें कुछ संशोधन किए , अतः इसको पुनः लोकसभा में प्रस्तुत किया गया और लोकसभा ने 5 अगस्त को इस बिल को राज्यसभा द्वारा सुझाए गए संशोधनों के साथ पारित कर दिया। राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। बताते चलें कि जब किसी विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाती है तो विधेयक, कानून बन जाता है। इस विधेयक में परिवहन व्यवस्था को मजबूत बनाने और सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाले सख्त प्रावधान किए गए हैं।
यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को दंडित करने के लिए इस बिल में जुर्माने में बढ़ोत्तरी की गई है। इसमें यह भी प्रावधान है कि यदि कोई व्हीकल मैन्युफैक्चरर मोटर वाहन व्हीकल के मानकों का पालन नहीं करता है तो उसे 100 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है या एक वर्ष की जेल की सजा हो सकती है या फिर दोनों। साथ ही यदि कोई कॉन्ट्रैक्टर सड़क के डिज़ाइन मानकों का पालन नहीं करता है तो उस पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। केंद्र सरकार मोटर वाहनों से सम्बंधित इस कानून के अंतर्गत वर्णित दंड शुल्क में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है।
केंद्र सरकार सड़क दुर्घटना में पीड़ितों के 'गोल्डन ऑवर' की अवधि में कैशलेस उपचार के लिए एक योजना लाएगी। विधेयक के अनुसार 'गोल्डन ऑवर' घातक चोट लगने के बाद एक घण्टे तक की वह समयावधि है जब तुरंत मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराकर मौत की संभावना को कम किया जा सकता है।
इन मामलों में मृत्यु होने पर मुआवजा राशि 25 हजार रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए करने का प्रावधान है। गंभीर चोट के लिए मुआवजा राशि जो अभी तक 12,500 रुपए थी , उसको बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है।
विधेयक के अनुसार गुड समैरिटन वह होता है जो दुर्घटना के समय पीड़ित को आपातकालीन मेडिकल या नॉन मेडिकल सहायता देता है। विधेयक में यह भी कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति द्वारा सहायता अनिवार्य रूप से अच्छी भावना से, स्वैच्छिक और बिना किसी पुरस्कार की उम्मीद के की जानी चाहिए। ऐसा व्यक्ति दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को किसी प्रकार की और गम्भीर चोट लगने या उसकी मृत्यु होने की स्थिति में किसी दीवानी या आपराधिक कार्यवाही के लिये उत्तरदायी नहीं होगा।
यह विधेयक केंद्र सरकार को ऐसे मोटर वाहनों को रीकॉल करने का आदेश देने की अनुमति देता है; जब वाहन ऐसी खराबी से ग्रस्त हों जो पर्यावरण या ड्राइवर या सड़क का प्रयोग करने वाले लोगों को नुकसान पहुँचा सकते हों। ऐसी स्थिति में वाहन निर्माता द्वारा वाहन मालिक को वाहन की पूरी कीमत लौटानी होगी या ख़राब वाहन को दूसरे वाहन से बदलना होगा, जो कि समान या बेहतर विशेषताओं वाला हो।
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इस विधेयक में केंद्र सरकार से अपेक्षा की गई है कि वह राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर राष्ट्रीय परिवहन नीति तैयार करेगी। इस नीति में शामिल होगा - सड़क परिवहन के लिए एक प्लानिंग फ़्रेमवर्क, परमिट देने सम्बन्धी फ़्रेमवर्क विकसित करना तथा सड़क परिवहन प्रणाली के लिये प्राथमिकताओं को चिन्हित करना।
इस विधेयक में यह प्रावधान भी है कि केंद्र सरकार नोटिफ़िकेशन के माध्यम से एक नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड का गठन भी करेगी। यह बोर्ड केंद्र औरराज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक मैनेजमेंट से सम्बंधित सभी पहलुओं पर सलाह देगा।
इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि केंद्र सरकार एक मोटर वाहन दुर्घटना कोष का निर्माण करेगी। इस कोष के माध्यम से भारत में सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।
राज्य सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और शहरी सड़कों पर सड़क सुरक्षा के लिये इलेक्ट्रॉनिक निरीक्षण और प्रवर्तन सुनिश्चित करना होगा। केंद्र सरकार ऐसे निरीक्षण के लिये नियम बनाएगी।
इस विधेयक में एग्रीगेटर को डिजिटल इंटरमीडियरी या मार्केट प्लेस के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका उपयोग यात्रियों द्वारा परिवहन के उद्देश्य (टैक्सी सर्विसेज) से ड्राइवर से कनेक्ट होने के लिए किया जा सकेगा। इन एग्रीगेटरों को इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 का अनुपालन करना होगा।
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Very good information
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