दान का महत्व(हिंदी कहानी) | Importance of Donation(hindi story)
दान का महत्व
एक बहुत प्रसिद्ध संत थे जिन्होंने समाज कल्याण के लिए एक मिशन शुरू किया |जिसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें तन मन धन तीनो की ही आवश्यक्ता थी| इस कार्य में उनके शिष्यों ने तन मन से भाग लिया और इन कार्य कर्ताओं ने धन के लिए दानियों को खोजना शुरू किया |
एक दिन, एक शिष्य कलकत्ता पहुँचा | जहाँ उसने एक दानवीर सेठ का नाम सुना | यह जान कर उस शिष्य ने सोचा कि इन्हें गुरूजी से मिलवाना उचित होगा, हो सकता हैं | यह हमारे समाज कल्याण के कार्य में दान दे |
इस कारण शिष्य सेठ जी को गुरु जी से मिलवाने ले गए | गुरूजी से मिल कर सेठ जी ने कहा – हे महंत जी आपके इस समाज कल्याण में, मैं अपना योगदान देना चाहता हूँ पर मेरी एक मंशा हैं जो आपको स्वीकार करनी होगी | आपके इस कार्य के लिए मैं भवन निर्माण करवाना चाहता हूँ और प्रत्येक कमरे के आगे मैं अपने परिजनों का नाम लिखवाना चाहता हूँ | इस हेतु मैं दान की राशि एवम नामो की सूचि संग लाया हूँ और यह कह कर सेठ जी दान गुरु जी के सामने रखते हैं |
गुरु जी थोड़े तीखे स्वर में दान वापस लौटा देते हैं और अपने शिष्य को डाटते हुए कहते हैं कि हे अज्ञानी तुम किसे साथ ले आये हो, ये तो अपनों के नाम का कब्रिस्तान बनाना चाहते हैं| इन्हें तो दान और मेरे मिशन दोनों का ही महत्व समझ नहीं आया |
यह देख सेठ जी हैरान थे क्यूंकि उन्हें इस तरह से दान लौटा देने वाले संत नहीं मिले थे | इस घटना से सेठ जी को दान का महत्व समझ आया कुछ दिनों बाद आश्रम आकार उन्होंने श्रध्दा पूर्वक हवन किया और निस्वार्थ भाव दान किया तब उन्हें जो आतंरिक सुख प्राप्त हुआ वो कभी पहले किसी भी दान से नहीं हुआ था |
Moral Of The Story:
✍दान का स्वरूप दिखावा नहीं होता जब तक निःस्वार्थ भाव से दान नहीं दिया जाता तब तक वह स्वीकार्य नहीं होता और दानी को आत्म शांति अनुभव नहीं होती |
✍ किसी की मदद करके भूल जाना ही दानी की पहचान हैं जो इस कार्य को उपकार मानता हैं असल में वो दानी नहीं हैं ना उसे दान का अर्थ पता हैं |
Post By - Mr. Amit Kumar
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